एक किस्सा जिंदगी का
हर वो जंजीरे, टूट गई,,
वो वक्त में पीछे , छुट गई ,,,,
सब गैर हुए,,अपने मालूम ,,,
वो अपनी होके,, रूठ गई ,,,,,
इस भीड़ भरी दुनिया में ,,
को नही अपना ,,,,,,,,,
हमसे न रूठे,मेरा खुदा ,,,
कभी न हो ,,खुदा से जुदा,,,,
मेरी मंज़िल होए,, तू खुदा,,
मैं बन के मुसाफिर, हूं चला ,,
इस भीड़ भरी दुनिया में ,,
कोई नहीं अपना !
@खामोश अल्फाज़ ©A.k
वो वक्त में पीछे , छुट गई ,,,,
सब गैर हुए,,अपने मालूम ,,,
वो अपनी होके,, रूठ गई ,,,,,
इस भीड़ भरी दुनिया में ,,
को नही अपना ,,,,,,,,,
हमसे न रूठे,मेरा खुदा ,,,
कभी न हो ,,खुदा से जुदा,,,,
मेरी मंज़िल होए,, तू खुदा,,
मैं बन के मुसाफिर, हूं चला ,,
इस भीड़ भरी दुनिया में ,,
कोई नहीं अपना !
@खामोश अल्फाज़ ©A.k
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