आसमान
धरती से उठकर आसमान छूता...
हरियाली का गहना था
छांव में जिसने सबको पनाह दी
वो प्यारा सा पेड़ हमारा था,,,!!
पंछियों का बसेरा था....
फल-फूलों का सवेरा था
आते जाते हर राहीगर का
कुछ पल बैठने का बसेरा था,,,!!
अब इंसान की बेरुखी से...
सूना-सूना हो गया
जड़ से जिसने जीवन दिया
वही पेड़ अब खो गया,,,!!
पेड़ों की इस दुनिया में...
हर सांस का सहारा था
अब उजड़े हुए इस जंगल में
बस दर्द का किनारा था,,,!!
© Himanshu Singh
हरियाली का गहना था
छांव में जिसने सबको पनाह दी
वो प्यारा सा पेड़ हमारा था,,,!!
पंछियों का बसेरा था....
फल-फूलों का सवेरा था
आते जाते हर राहीगर का
कुछ पल बैठने का बसेरा था,,,!!
अब इंसान की बेरुखी से...
सूना-सूना हो गया
जड़ से जिसने जीवन दिया
वही पेड़ अब खो गया,,,!!
पेड़ों की इस दुनिया में...
हर सांस का सहारा था
अब उजड़े हुए इस जंगल में
बस दर्द का किनारा था,,,!!
© Himanshu Singh