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मेरा एक दोस्त भी तबीब है
मेरा एक दोस्त भी तबीब है
मेरे घर के ही बहुत करीब है
बहुत देर नब्ज़ पकड़ कर देखता
पूछा तो कहता है तेरा मर्ज़ अजीब है
मेरे यार हर दवा तेरे क़रीब है
सुना है तू ही तो बड़ा तबीब है
तबीब देख कर न कुछ फिर बोला
खुदा को सौंप दे यही तेरा नसीब है
हम ला-इलाजे जान नहीं करते सारिम
तू बस सब्र कर तेरा वक़्त अन्न-क़रीब है
© Sarim
मेरे घर के ही बहुत करीब है
बहुत देर नब्ज़ पकड़ कर देखता
पूछा तो कहता है तेरा मर्ज़ अजीब है
मेरे यार हर दवा तेरे क़रीब है
सुना है तू ही तो बड़ा तबीब है
तबीब देख कर न कुछ फिर बोला
खुदा को सौंप दे यही तेरा नसीब है
हम ला-इलाजे जान नहीं करते सारिम
तू बस सब्र कर तेरा वक़्त अन्न-क़रीब है
© Sarim
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