...

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खुद पे प्यार आया
पागलपन फिर से एक बार आया,
खुद पे पहली दफा प्यार आया....

अभी तक सोचा सबके लिए,
गलत पे भी अपने होठ थे सीए,
हमेशा ढूंढते रहे दूसरो में प्यार,
खुद से नही किया कभी प्यार का इज़हार,
पागलपन फिर से एक बार आया,
खुद पे पहली दफा प्यार आया....

खुदको हमेशा दूसरों की नज़रों से देखा,
मान लिया यही है मेरी किस्मत की रेखा,
हमेशा किया खुदको अनदेखा,
पागलपन फिर से एक बार आया,
खुद पे पहली दफा प्यार आया.....

आज देखा खुदको आईने में,
आज जाना खुदको सही मायने में,
मोतियों की हूँ मैं वो माला,
सबके नाज़ और नखरों को खुशी से मैने पाला,
अपने आप को नही पहचाना कभी,
पागलपन फिर से एक बार आया,
खुद पे पहली दफा प्यार आया....

दूसरो के लिए जीते जीते खुद जीना गयी भूल,
अपनी पहचान को मिटा कर आगे रखा हमेशा फर्ज़ और उसूल,
आज जाना कि मेरे अंदर है एक दुनिया और जग सारा,
अपने आप से ज़्यादा कोई नही है इस दुनिया मे प्यारा,
पागलपन फिर से एक बार आया,
खुद पे पहली दफा प्यार आया....

आज खुद के अस्तित्व को पहचाना,
पहला प्यार मै हूँ मेरा यह बात मैने माना,
दूसरो की परवाह करने से पहले है मेरा खुद के लिए फर्ज़,
मै ही हूँ हर दवा खुद की और हूँ खुद का मर्ज़,
आज पहचान लिया खुदको और उतर गए सारे कर्ज़,
आज फिर से जीने की उम्मीद है आई,
आज खुद से प्यार करने की खुशियां है मैने पाई,
पागलपन फिर से एक बार आया,
खुद पे पहली दफा प्यार आया.....
#Self love











© DM मन की बातें