अब शाम आ रही है
221 / 2122 / 221 / 2122
दिन बीतने लगे है अब शाम आ रही है
उम्मीद की भी किरणेँ वाँ दूर जा रही है
मुझसे चुरा के आँखें हँस हँस के करती बातें
नश्तर चुभा के कैसे दिल को दुखा रही है
रह रह के उठ रही है पीड़ा...
दिन बीतने लगे है अब शाम आ रही है
उम्मीद की भी किरणेँ वाँ दूर जा रही है
मुझसे चुरा के आँखें हँस हँस के करती बातें
नश्तर चुभा के कैसे दिल को दुखा रही है
रह रह के उठ रही है पीड़ा...