...

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रोते रहते हैं पागल से
गम के उमड़ते हैं बादल से,
रोते रहते हैं पागल से,

ख्वाब जो पाले हमने दिल में,
पड़े हुए हैं सब घायल से,

सात सुरीले साज निकलते,
उसकी छनकती हुई पायल से,

आई हुई है याद तुम्हारी,
दोनों नैना हैं जल थल से,

जब सोचूं अपने बारे में ,
माथे पर पढ़ते हैं बल से,

इतने चुभते...