...

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"पहचान"
"हर एक कोस पे शामिल हैं क़ायदे,
मैं दौड़ती हूं चलने का पैमान कहां है?

हर एक तलाश में बसता है जो खुदा,
बाशक्ल मुझे लादे वो इंसान कहां है?

है हर्ज़ मेरी बात के तीखे सुरूख़ से,
मुझको बताओ वाणी की पहचान कहां है?"

© प्रज्ञा वाणी