...

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लिखते हैं, मिटाते हैं
सुबह से शाम हो गई, बस लिखते हैं, मिटाते हैं,
तुझे कैसे बुरा लिखूं, यही खुद को समझाते हैं ।

सच बताओ, कैसे तुमने,कलम काग़ज़ को खरीदा है?
मैं कहूं लिखो दुश्मन, तुम्हें वो मोहब्बत लिख आते हैं।

मैं इश्क कभी नहीं रहा तेरा, मुझे ये मालूम है जोकर,
तू सिर्फ मेरा है , झूठ कहकर ये, दिल को समझाते हैं।

जब रातों में तेरी यादें, हदें सब तोड़ने, लग जाती हैं,
बाहों में तेरा तकिया लेकर,हम ख्वाबों को सजाते हैं ।

कैसे प्यार से देखें तुम्हें, कहीं नज़र न लग जाए मेरी,
तुम्हें कहीं कुछ हो न जाए, यही सोचकर घबराते हैं।

सुबह से शाम हो गई, बस लिखते हैं, मिटाते हैं,
तुझे कैसे बुरा लिखूं, यही खुद को समझाते हैं ।

© Dr. Joker