...

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सहर -सुबह
वक़्त की नब्ज़ पे पकड़ रखना ,
हाथ में अपने ये हुनर रखना
ख़्वाब दिल में उतर के नाचेंगे ,
चाँद की आँख पर नज़र रखना
जिंदगी सिलसिला है भटकन का ,
पाँव से बाँधकर सफ़र रखना
जिस्म नाज़ुक हो फूल - सा लेकिन ,
बात में अपने तुम असर रखना
फ़िक्र करना ज़माने की लेकिन ,
यार अपनी भी कुछ ख़बर रखना
स्याह हो रात चाहे जितनी भी ,
ज़ह्न में अपने तुम सहर रखना '
© madhav (हनी समान)