...

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क्या हुआ?
क्या हुआ?

दिल टूटा है
कोई शख्स रूठा है
दिन खाली सा है
शाम बोझिल है?

तो कोई ग़ज़ल सुनो
कोई गीत लिखो
जिसे चाहे तुम
अपना मनमीत लिखो

लिखो की ये तुम्हारी कहानी है
बताओ दरिया उसे
जो भरा बरसों से
आंखों में पानी है

जियो
बेखौफ और
बेबाकी से
चार दिन की
जिंदगानी है

कोई कहे तुम्हे
पागल तो कहने दो
यादों में रहना चाहे
कोई चेहरा तो रहने दो
मोती जो सजोए हैं
आज इन आंखों से बहने दो

जो वक्त गुजर गया
उसे जाने दो
नए ख्वाब देखो
लबों को मुस्कुराने दो
अगर आजमाए जमाना
हर मोड़ पर तुम्हे
अपने हौसलों पर करो भरोसा
और जमाने से टकराने दो

नहीं भूल सकते
उन पुरानी बातों को?
तड़प कर गुजरी हैं
उन तमाम रातों को
किसी की बेपरवाह
परवाह को
शर्म से झुकती निगाह को?

ये जो यादें ढीठ हैं
इन्हे बीते कल में रहने दो
जिसे जो कहना है
कहने दो
तुम खुद से खुद को मिलने दो
तुम अपना इंतजार करो
खुद से बहुत सारा प्यार करो

©प्रिया सिंह
© life🧬