क्या हुआ?
क्या हुआ?
दिल टूटा है
कोई शख्स रूठा है
दिन खाली सा है
शाम बोझिल है?
तो कोई ग़ज़ल सुनो
कोई गीत लिखो
जिसे चाहे तुम
अपना मनमीत लिखो
लिखो की ये तुम्हारी कहानी है
बताओ दरिया उसे
जो भरा बरसों से
आंखों में पानी है
जियो
बेखौफ और
बेबाकी से
चार दिन की
जिंदगानी है
कोई कहे तुम्हे
पागल तो कहने दो
यादों में रहना चाहे
कोई चेहरा...
दिल टूटा है
कोई शख्स रूठा है
दिन खाली सा है
शाम बोझिल है?
तो कोई ग़ज़ल सुनो
कोई गीत लिखो
जिसे चाहे तुम
अपना मनमीत लिखो
लिखो की ये तुम्हारी कहानी है
बताओ दरिया उसे
जो भरा बरसों से
आंखों में पानी है
जियो
बेखौफ और
बेबाकी से
चार दिन की
जिंदगानी है
कोई कहे तुम्हे
पागल तो कहने दो
यादों में रहना चाहे
कोई चेहरा...