...

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किस्मत !
आधा सा था मैं , पूरा वो कर गयी,
जब पूरा होने लगा था मैं ,
अधूरा वो छोड़ गई।
वो किस्मत है जनाब!
जो पल-भर में बदल गयी।
भरोसे था मैं उसके,
वो भरोसे मेरे बैठ गयी,
खुशहाल मेरी जिंदगी को वो बर्बाद करने लग गयी,
वो किस्मत है जनाब!
जो पल-भर में बदल गयी।
मेहनत के बिना दिया था उसने कुछ,
हमको लगा आगे भी देगी,
लेकिन क्या पता था वो इस कदर रुला देगी,
वो किस्मत है जनाब!
जो पल-भर में बदल गयी।