...

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तेरे सलाम के बाद
शुरु होता हे दिन का सफर तेरे सलाम के बाद
उठती हे सहर से नकाब तेरे सलाम के बाद

इन्तजार किया भोर का रातो को जागकर
खिलती हैं फिर एक नयी सुबह तेरे सलाम के बाद

तारो के बीच ढूंढ़ता रहा खोया हुआ वो चान्द
बदली से फिर निकलेगा चान्द तेरे सलाम के वाद

कितना कुछ था कहने के लिये जो कह न सका
कह दूंगा अपने दिल की बात तेरे सलाम के बाद

तेरे दिल मे भी जज्बात कई जिन्हे जुबां न मिली
शुरु होगा फिर मोहब्बत का सिला तेरे सलाम के बाद

दिन गुजर गया शाम ढल गई फिर उदासी का आलम हे
लिखेंगे फिर एक नया कलाम तेरे सलाम के बाद