" यीशु ने शिष्यों के पैर धोए "
" यीशु ने शिष्यों के पैर धोए "
इस पुण्य गुरुवार के दिन प्रभु यीशु नासरी ने अपने बारह शिष्यों के चरणों को अपने पवित्र हाथों से धोकर पोंछा था..!
इसलिए इस दिन को " पुण्य गुरुवार" के रूप में मनाते हैं..!
यीशु नासरी ने कहा था कि तुम मुझे अपना गुरु अथवा प्रभु कह सकते हो..!
मैं आज आप सभी को नया नियम प्रदान करता हूँ..!
मैं तुम्हारा प्रभु तुम से यह कहता हूँ कि तुम सभी एक दूसरे के पैर धोया करो जैसा कि मैं इस वक़्त कर रहा हूँ..!
सभी लोगों से मेरे समान प्रेम करो..!
एक दूसरे के गुनाह को क्षमा करो जैसा कि मैं तुम्हारे गुनाहों को क्षमा करता हूँ..!
तुम दीन बनो..!
तत्पश्चात यीशु नासरी ने अपने बारह शिष्यों के साथ भोजन ग्रहण किया..!
जो प्रभु यीशु नासरी का आखिरी प्रीत भोज था उनके शिष्यों के साथ क्योंकि उसी मध्य रात्रि की बेला में उनके शिष्यों में से एक शिष्य ने उन्हें उनके दुश्मनों के हाथों पकड़वाने की फ़िरौती ली थी, और उस शिष्य का नाम 'यहूदा इस्करियोती' था..!
'यहूदा इस्करियोती' जो बारह शिष्यों में से एक था..!
वह यीशु मसीह को दुश्मनों के हाथों पकड़वाने वाला है इसकी भविष्यवाणी भोजन के दौरान मेज पर ही यीशु मसीह के द्वारा कर दी गई थी..!
उन्होंने कहा था अपने शिष्यों से कि तुम में से कोई मेरे साथ विश्वासघात करने वाला है तभी बाकी शिष्यों ने प्रभु से पूछा कि वह कौन है..?
तब उन्होंने कहा कि वह जो इस वक़्त मेरे भोजन के कटोरे में हाथ डाला है और उससे यीशु ने कहा जो तुम करने जा रहे हो उसे शीघ्र करो और बिल्कुल वैसा ही हुआ भी..!
तब यहूदा उस कटोरे में से रोटी लेकर कमरे से बाहर निकल आया..!
तत्पश्चात भोजन के बाद वे सभी जब यीशु नासरी आधी रात में अपने शिष्यों के साथ...
इस पुण्य गुरुवार के दिन प्रभु यीशु नासरी ने अपने बारह शिष्यों के चरणों को अपने पवित्र हाथों से धोकर पोंछा था..!
इसलिए इस दिन को " पुण्य गुरुवार" के रूप में मनाते हैं..!
यीशु नासरी ने कहा था कि तुम मुझे अपना गुरु अथवा प्रभु कह सकते हो..!
मैं आज आप सभी को नया नियम प्रदान करता हूँ..!
मैं तुम्हारा प्रभु तुम से यह कहता हूँ कि तुम सभी एक दूसरे के पैर धोया करो जैसा कि मैं इस वक़्त कर रहा हूँ..!
सभी लोगों से मेरे समान प्रेम करो..!
एक दूसरे के गुनाह को क्षमा करो जैसा कि मैं तुम्हारे गुनाहों को क्षमा करता हूँ..!
तुम दीन बनो..!
तत्पश्चात यीशु नासरी ने अपने बारह शिष्यों के साथ भोजन ग्रहण किया..!
जो प्रभु यीशु नासरी का आखिरी प्रीत भोज था उनके शिष्यों के साथ क्योंकि उसी मध्य रात्रि की बेला में उनके शिष्यों में से एक शिष्य ने उन्हें उनके दुश्मनों के हाथों पकड़वाने की फ़िरौती ली थी, और उस शिष्य का नाम 'यहूदा इस्करियोती' था..!
'यहूदा इस्करियोती' जो बारह शिष्यों में से एक था..!
वह यीशु मसीह को दुश्मनों के हाथों पकड़वाने वाला है इसकी भविष्यवाणी भोजन के दौरान मेज पर ही यीशु मसीह के द्वारा कर दी गई थी..!
उन्होंने कहा था अपने शिष्यों से कि तुम में से कोई मेरे साथ विश्वासघात करने वाला है तभी बाकी शिष्यों ने प्रभु से पूछा कि वह कौन है..?
तब उन्होंने कहा कि वह जो इस वक़्त मेरे भोजन के कटोरे में हाथ डाला है और उससे यीशु ने कहा जो तुम करने जा रहे हो उसे शीघ्र करो और बिल्कुल वैसा ही हुआ भी..!
तब यहूदा उस कटोरे में से रोटी लेकर कमरे से बाहर निकल आया..!
तत्पश्चात भोजन के बाद वे सभी जब यीशु नासरी आधी रात में अपने शिष्यों के साथ...