इश्क़ का इज़हार - जिंदगी (Part 3)
इश्क़ का इज़हार
तुमसे ही सवेरा है, तुमसे ही शाम है,
तुमसे ही खामोशी, तुमसे ही गुफ्तगू का नाम है।
तुमसे ही हैं ख्वाब मेरे, तुमसे ही उनका जहाँ,
तुमसे ही रूह की खुशबू, तुमसे ही दिल का मकाँ।
तुमसे ही उम्मीदें हैं, तुमसे ही ख्वाहिशें भी,
तुमसे ही चाहत है, तुमसे ही मेरे दिल की फरमाइशें भी।
तुम ही मेरी धड़कन, तुम ही मेरी साँस,
तुम ही मेरी जिंदगी, तुम ही मेरी मंजिल का पता।
...
तुमसे ही सवेरा है, तुमसे ही शाम है,
तुमसे ही खामोशी, तुमसे ही गुफ्तगू का नाम है।
तुमसे ही हैं ख्वाब मेरे, तुमसे ही उनका जहाँ,
तुमसे ही रूह की खुशबू, तुमसे ही दिल का मकाँ।
तुमसे ही उम्मीदें हैं, तुमसे ही ख्वाहिशें भी,
तुमसे ही चाहत है, तुमसे ही मेरे दिल की फरमाइशें भी।
तुम ही मेरी धड़कन, तुम ही मेरी साँस,
तुम ही मेरी जिंदगी, तुम ही मेरी मंजिल का पता।
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