...

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द्रौपदी भी हर बार हुई दु:शासन भी हर बार हुआ
वस्त्र हरण हर युग मे हुआ और
देह पर वार हर बार हुआ
द्रौपदी भी हर बार हुई और
दु:शासन भी हर बार हुआ

कुकृत्य तो रावण ने किया
फिर माँ सीता क्यों परेशान हुई
राम ने तो ले ली परीक्षा फिर
नारी पर क्यों प्रश्न हर बार हुआ

द्रौपदी भी हर बार हुई और
दु:शासन भी हर बार हुआ

सतयुग मे तो रावण जैसा ज्ञान रहा
कृष्ण के द्वापर में अहंकार को अभिमान रहा
जननी के सम्मान खातिर धरा ने महाभारत,रामायण देखीं
इस युग मैं तो उल्टा अपनी जननी पर प्रहार हुआ

द्रौपदी भी हर बार हुई और
दु:शासन भी हर बार हुआ

वेदना हारी भाव करुण का हारा
हार गई उसकी सिस्की सारी
जब दु:शासन ने खींची होगी
तब हार गई कृष्णा की साड़ी

आखों से बहते लहू को देख तो
अब कृष्णा को यह आभास हुआ
काश साड़ी के एवज में चक्र थमाया होता जो
न तो द्रौपदी हर बार होती,न दु:शासन हर बार होता

द्रौपदी भी हर बार हुई और
दु:शासन भी हर बार हुआ













© Ankaj Rajbhar