...

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दाग़ ए इश्क़ और वफ़ा हमारी
मुहब्बत इतनी ही थी हमारी सच्ची ।।
तो ज़नाज़ा साथ में उठता हमारा ।।
मुहब्बत ही निभाई है पूरी ।।
फूल बन बिखरा हूं गंगा किनारे ।।

साथ चलने की ज़िद में
ज़रा सा ठहरा ही तो था...