आंखें और भीड़
#भीड़कीकविता
ये आँखें बहुत कुछ देखती हैं
सारे मंजर दिल में समेटती है
सवेरे को शाम में ढलते देखती है
रातों के बहाने ख्वाब देखती हैं
जिंदगी की भागम भाग...
ये आँखें बहुत कुछ देखती हैं
सारे मंजर दिल में समेटती है
सवेरे को शाम में ढलते देखती है
रातों के बहाने ख्वाब देखती हैं
जिंदगी की भागम भाग...