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फिर क्या बात होती....
#WritcoPoemPrompt110
बेशक मुझे देने के लिए वक़्त नही तुम्हारे पास,
जज़्बात दिया होता तो क्या बात होती |
बेशक समुंदर सी मोहब्बत ना सही,
तपती धूप मे बरगद सा छाव दिया होता तो क्या बात होती|
माना की दूरिया बहोत है हमारे बीच,
एक आवाज दी होती तो क्या बात होती|
बेशक मुझे देने के लिए कुछ भी नही तुम्हारे पास,
अपना नाम दिया होता तो क्या बात होती ||
© Ankita siingh
बेशक मुझे देने के लिए वक़्त नही तुम्हारे पास,
जज़्बात दिया होता तो क्या बात होती |
बेशक समुंदर सी मोहब्बत ना सही,
तपती धूप मे बरगद सा छाव दिया होता तो क्या बात होती|
माना की दूरिया बहोत है हमारे बीच,
एक आवाज दी होती तो क्या बात होती|
बेशक मुझे देने के लिए कुछ भी नही तुम्हारे पास,
अपना नाम दिया होता तो क्या बात होती ||
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