...

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राँझा 🌼
राँझा सा मैं जोगन सी तुम
एक दूसरे से मीलते रहेंगे ...
जैसे मीलती है नृत्य से संगीत की धून
राँझा सा मैं जोगन सी तुम ।।१।।

राँझा सा मैं जोगन सी तुम
आँवो चलो कहीं खों जाँऐ...
जैसे होते है हवा और बादल एकदूसरें में गुम
राँझा सा मैं जोगन सी तुम ।।२।।

राँझा सा मैं जोगन सी तुम
जब कुछ भी दिखाई ना दे तों उम्मींद लेके आना...
जैंसे लेकर आती हैं बंद कमरे धूँप
राँझा सा मैं जोगन सी तुम ।।३।।

राँझा सा मैं जोगन सी तुम
कभी बीना दिखें मुझें दूर से इस तरह निहारना...
जैसे निहारती हैं रातों में धरती को चॉंद-तारों की झुँड
राँझा सा मैं जोगन सी तुम ।।४।।

राँझा सा मैं जोगन सी तुम
कभी बीना कहें मुझें इस तरह गले से लगाना...
जैंसे लगाती धरतीं को बारिस की बूँद
राँझा सा मैं जोगन सी तुम ।।५।।

राँझा सा मैं जोगन सी तुम
एक दूसरें को इस तरह संभाल कर रखेंगे...
जैंसे घर के आंगन खेलतें बच्चों का हो‌ जुनून
राँझा सा मैं जोगन सी तुम ।।६।।

राँझा सा मैं जोगन सी तुम
मैं तुम्हारें आखों में वो देंख पाँऊ
जैंसे देंखें मिलता हैं मंदिर, मस्जिद,चर्च और गुरुद्वारें में सुकूँन
राँझा सा मैं जोगन सी तुम ।।७।।

राँझा सा मैं जोगन सी तुम
शाम होते ही घर की खिडकीं से मेरी राह ताकना...
जैंसे घर लोंटने वाला होंता है नादान परिंदों का झुँड
राँझा सा मैं जोगन सी तुम ।।८।।

राँझा सा मैं जोगन सी तुम
जब बाहर की दुनियाँ से मन भर जाँए तों किताबों की दुनियाँ में चलें आना...
जैसें जिंदा थे सदियों पुरानें किरदारों में मैं और तुम
राँझा सा मैं जोगन सी तुम ।।९।।

राँझा सा मैं जोगन सी तुम
तुम्हें हमेशा लिखता रहूँगा...
जैंसे मेंरा खयाल ही हों सिर्फ तूम
राँझा सा मैं जोगन सी तुम ।।१०।।

© Parthasarathi