...

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भाईचारा
हम क्यों ना कहें भाई !
जो पंजाब में जन्मे या बंगाल में -
नाम हो भगत सिंह या खुदीराम ;
हिंदू हो या मुसलमान ,
जिसकी छवि है भायी
वो डॉक्टर राजेंद्र या डॉक्टर अब्दुल कलाम;

सब एक ही साकेत के अन्न, जल
ग्रहण करते थे , करते हैं और करेंगे।
मिले थे , मिलते हैं और मिलेंगे
सरिता और सागर की तरह :
छोटा हो या बड़ा, मीठा हो या खारा।
पर रखेंगे भाईचारा ।।

जब खेतों में, कारखानों में ,
बस कामगार होते हैं ;
छूते हैं, लेनदेन करते और प्रेम बीज बोते हैं;
तब देखते मिहताना का एक ही रंग ,
काला हो या गोरा ,
हम रखेंगे भाईचारा।।

हम क्यों ना कहें, गर्व से, ईसाई हैं:
हम भाई हैं ,
हम सब ने मिलकर बनाया विधान, संविधान;
हम मानते हैं -
आज हो रहा वाणी अस्त्र का संधान -
हमें तोड़ने को ,
पर अतीत ने सिखाया है हमें जोड़ने को ;
सो ले लेंगे कुछ कम व ज्यादा ,
न मिटने देंगे
अनेकता में एकता का स्तित्व हमारा ।
हम रखेंगे भाईचारा।।

© शैलेंद्र मिश्र शाश्वत
16 अगस्त 2020
#देशप्रेम