...

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बेजुबान हूं पर थी में एक मां ही....
बेजुबान हूं,
पर थी में एक मां ही,
तुम ज़िंदा दिली की बात करते हो,
ये कैसी इंसानियत है।।।
भूख से जब एक मां तड़पती है,
हाथ इंसान का पहले बड़ता है उसके तरफ,
क्या वो इंसान है इसलिए वो,
में एक बुजाबन मां हूं तो,
देदिय मुझे एक मौत का सामान,
तुम खुदको एक बड़े बुदीमानी मानते हो,
हर प्राणी में,
ये कैसे बुदिमता है तुम्हारी,
क्या मेरे दर्द की कोई तकलीफ़ नहीं,
क्या था कसूर मेरा,
क्या में बेजुबान हूं इसलिए..