...

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घर में भी दीवार थी....
दीवारों का घर था
घर में भी दीवार थी

खिड़की खुलती भी थी
मगर वो बेकार थी

हवायें भी बहती थी
न घर के आर पार थी

उधर कील ठुकती थी
यहाँ पे जिगर पार थी...