कवि की कल्पना
विचार प्रेरित कर रहे कुछ लिखने के लिए
कलम साथ दे रही कागज भी करीब आ गया
ख्याल में बुनती गई कविता बनती गई
मौसम बड़ा सुहाना है साथ दे रहा
हवा के थपेड़े आ रहे कविता के सुर सुना रहे
कहां गलत हूं मैं कहां सही समझा रहे
सोच रही हूं कविता लिखना तो कवि का काम है
मैं तो कवित्री नहीं
फिर कहां से यह ख्याल आ रहे हैं
कोई मुझे क्यों प्रेरित कर रहा
क्या वह मुझसे कुछ करवाना चाहता है
मुझसे लिखवा कर सब तक पहुंचाना चाहता
पगली तू तो माध्यम है.
© All Rights Reserved
कलम साथ दे रही कागज भी करीब आ गया
ख्याल में बुनती गई कविता बनती गई
मौसम बड़ा सुहाना है साथ दे रहा
हवा के थपेड़े आ रहे कविता के सुर सुना रहे
कहां गलत हूं मैं कहां सही समझा रहे
सोच रही हूं कविता लिखना तो कवि का काम है
मैं तो कवित्री नहीं
फिर कहां से यह ख्याल आ रहे हैं
कोई मुझे क्यों प्रेरित कर रहा
क्या वह मुझसे कुछ करवाना चाहता है
मुझसे लिखवा कर सब तक पहुंचाना चाहता
पगली तू तो माध्यम है.
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