आजादी का संकल्प
स्वातंत्र्य की रेखा से युग वक्ष पर अंकित है संकल्प हमारा ।
सदियों के मातम को चीरा ममता, समता व न्याय सूत्र का तारा ।।
उस भूख और अपमान को फिर याद कर सिहरें हम , विफरें हम ।
एकता की नारा से गूंजे गलियां विश्व की अखंड भारत है ना बिखरे हम ।
विषबेल के बीज उखाड़ देंगे नवभारत में शांति व शिक्षा होगी ।
आत्मनिर्भरता ही आजादी है या फिर गुलामी और भिक्षा होगी ?
गलत वाद को पनाह न देंगे न देने देंगे हम सक्षम हैं ।
उस भूगर्भ की कद्र करें हम जन्मे जहां सोए- यही धर्म है प्यारा ।।
आजादी का जुबली जश्न मनाएं पर...
सदियों के मातम को चीरा ममता, समता व न्याय सूत्र का तारा ।।
उस भूख और अपमान को फिर याद कर सिहरें हम , विफरें हम ।
एकता की नारा से गूंजे गलियां विश्व की अखंड भारत है ना बिखरे हम ।
विषबेल के बीज उखाड़ देंगे नवभारत में शांति व शिक्षा होगी ।
आत्मनिर्भरता ही आजादी है या फिर गुलामी और भिक्षा होगी ?
गलत वाद को पनाह न देंगे न देने देंगे हम सक्षम हैं ।
उस भूगर्भ की कद्र करें हम जन्मे जहां सोए- यही धर्म है प्यारा ।।
आजादी का जुबली जश्न मनाएं पर...