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हर इल्ज़ाम सही है-
देश, समाज, घर, परिवार,
कहीं भी, कुछ भी हो जाए,
बड़ी आसानी से,
हर बार, हर इल्ज़ाम,
औरत के सर मढ़ दिया जाता है।
बचपन से यही तो देखा और सुना जाता है,
पहली संतान को तो,,,,, बेटा ही होना चाहिए,
बदकिस्मती से बेटी हो तो,,,,,,,
उसे खुश रहने के लिए,
उसकी किस्मत का हवाला दे देना चाहिए।
एक बेटा ही है,,,, जो वंश आगे बढ़ाता है,
प्रथम पाठशाला- घर से यही बात,,,,घर कर जाती है,
वहीं से औरत हमेशा,
दोयम दर्जे की हो जाती है,
हर इल्जाम सही है...उस पर,
यही उसकी किस्मत होकर रह जाती है।
कहीं भी, कुछ भी हो जाए,
बड़ी आसानी से,
हर बार, हर इल्ज़ाम,
औरत के सर मढ़ दिया जाता है।
बचपन से यही तो देखा और सुना जाता है,
पहली संतान को तो,,,,, बेटा ही होना चाहिए,
बदकिस्मती से बेटी हो तो,,,,,,,
उसे खुश रहने के लिए,
उसकी किस्मत का हवाला दे देना चाहिए।
एक बेटा ही है,,,, जो वंश आगे बढ़ाता है,
प्रथम पाठशाला- घर से यही बात,,,,घर कर जाती है,
वहीं से औरत हमेशा,
दोयम दर्जे की हो जाती है,
हर इल्जाम सही है...उस पर,
यही उसकी किस्मत होकर रह जाती है।
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