...

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"नश्तर"
नश्तर से चुभते है वो एहसास
जो कभी कल्ब़ में मेरे रवां थे!!

खुद की शख्सियत भुलाकर फकत़
हम किसी पर मर मिटनें पर आमादा थे!!

यक ब यक जैसे ख़ुदा ने झकझोरा हमको
क्यों ये बेसबब की गफलत और ख़्वाहिशों पर
हम मुब्तिला थें!!


© Deepa🌿💙