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दोस्ती के नाम एक कविता…


इक पीपल का पेड़
जहाँ दो दोस्त बहने बनकर रहती है…
नाम है एहसास-रचना
जो बस लिखती ही रहती है…

दोनो की है ख्वाइश
नाम अपने को है चमकाना…
करनी होती है बाते इनको
लिखना तो दोनो का है बहाना…

एक और है हमारे ग्रुप की
बहुत हसीन जोडी…
नाम है क्रुपाली-सिम्मी
जो बोलती है थोड़ी-थोड़ी…

लिखने मेँ है दोनो माहिर
सपीड है इनकी जैसे अरबी घोड़ी…
एक है गुजराती डीक्रा तो
दुसरी है बिहार की मस्त छोरी…

चलो अब बात करता हूँ
अपने ही गाँव के दो छोरों की…
पंजाबी है उनकी माँ बोली
और हिन्दी मासी उनकी सह-बोली…

उनके चेहरे पे ना जाना
उनका लिखना ही पहला करम…
चाचे-भतीजे का है रिस्ता
उनका नाम है जिंद-परम…

दोस्ती है एक गहरा रिश्ता
जिसको यादों मे संजोना है…
यादों की बारात बनाकर
एक बूँद के रूप में पिरोना है…

अपने-अपने ख्याल लिख कर
एक किताब को बनाना है…
“जिंद” आरजू है सबकी
अपने शब्दों को हर दिल में बसाना हैं…



#जलते_अक्षर
© ਜਲਦੇ_ਅੱਖਰ✍🏻