...

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!! चाँद हो तूम !!
रात आँगन है तुम्हारा,
कंगन चाँद,
तुम्हारी ज़ुल्फ़ें सितारे,
सोचता हूँ इस रात की सुबह
कभी भी ना हो।
क्या पता
इस रौशनी भरी रात में,
तुम्हारा प्यार
मुझ तक ख़ुशबू की
तरह पहुँच जाए .....

© राजेश पंचबुधे