...

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जीए जा रह हूँ...
तुझे खोकर भी जीए जा रहा हूँ
तेरे यादों की सकूनत है पास मेरे
इसलिए ज़रा में भी जीए जा रहा हूँ
तेरी उल्फत में मुमूर्ष हूँ मैं
दुर्धर है तेरा मिलना फिर
फिर भी ये कोशिश किए जा रहा हूँ
तुझे खोकर भी जीए जा रहा हूँ
रैण ए रहमत होता है जब
यादों की बसेरों में तुम्हे पाता हूँ तब
सपने भी सच लग जाते है तब
फिजाओं में तुम्हे पाता हूँ जब
रैण सैलाब...