...

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तुम्हारा होना उस गुनगनी धूप सा है जो सर्द हवाओं में राहत दें जाती
तुम्हारा होना उस गुनगनी धूप सा है,
जो सर्द हवाओं में राहत दें जाती,
कोहरे की मोटी चादर के बीच,
सुकून की एक आहट दें जाती,

तुम्हारा होना उस गर्म चाय सा है,
जो रुह को गर्माहट दें जाती,
ठिठुरते इन हाथों को जैसे,
सम्हलने की इनायत दें जाती,

तुम्हारा होना उस एहसास सा है,
जो ठंड में भी चाहत दें जाती,
तुम्हारा होना उस गुनगनी धूप सा है,
जो सर्द हवाओं में राहत दें जाती!!


© Rohit Kumar Gond
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