...

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तुमने अगर आवाज दी होती...
तुमने अगर आवाज दी होती तो मै पल भर ठहरता,
वक्त के तटबंध पर मै शीतल जल बनकर ठहरता।

पर तुम्हे तो हार का अवसर दिखाई दे रहा था,
एक भयानक त्रासदी का डर दिखाई दे रहा था,
मुख से तो आप कुछ बोल नही पाए पर आखे सब कह रही थी,
पीर उर की नैन के कोरों से रिस कर बह रही थी ,
मौन थे तुम, आसुओं से थी दुपट्टे पर तरलता,
तुमने गर आवाज दी होती तो मै पल भर ठहरता।

प्राण! तुमको वक्त का था पर भाव न मालूम मुझको,
बंदिशो को तोडना आसान न मालूम मुझको,
पर शिकायत है कि तुम से कुछ छिपाया जा रहा था,
सच न कह कर मुझसे मेरा दिल दुखाया जा रहा था,
थी नहीं अब प्राण। तुझमे पहले जैसी सरलता,
तुमने अगर आवाज दी होती तो मैं पल भर ठहरता,

पर चलो जो भी हुआ अच्छा हुआ यह मानता हूॅ,
अब न मुझको जानते तुम और न मै तुमको,
वक्त के हाथो गढी तस्वीर लेकर देख लेगे,
एक दूजे के ह्रदय की पीर बनकर देख लेगे,
सोचता हूॅ कब तक मुझको सताएगी विफलता,
तुमने अगर आवाज दी होती तो मै पल भर ठहरता।
#WritcoPoemPrompt30
She rises from the ashes,
Donning infinite avatars,
Sending the vile searching for cover,
And begging for mercy...
#WritcoQuote
#Life&Life
#thewarrioryou