Lockdown 5.0
कोरोना के चलते मेरा मन घबराया सा रहता है
अपने प्रियजनों से ये कुछ प्रश्न पूछना चाहता है
अंदर रहूं या बाहर जाऊं ये विपदा मेरे मन में है
सब कुछ खुला होते हुए भी ये भय के बन्धन में है
घर की देहलीज लांघने में मेरा मन कुछ सकुचाता है
कोई गलती न हो जाये ये बार बार दोहराता है
घर के पास जो मंदिर है ये...
अपने प्रियजनों से ये कुछ प्रश्न पूछना चाहता है
अंदर रहूं या बाहर जाऊं ये विपदा मेरे मन में है
सब कुछ खुला होते हुए भी ये भय के बन्धन में है
घर की देहलीज लांघने में मेरा मन कुछ सकुचाता है
कोई गलती न हो जाये ये बार बार दोहराता है
घर के पास जो मंदिर है ये...