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Lockdown 5.0
कोरोना के चलते मेरा मन घबराया सा रहता है
अपने प्रियजनों से ये कुछ प्रश्न पूछना चाहता है
अंदर रहूं या बाहर जाऊं ये विपदा मेरे मन में है
सब कुछ खुला होते हुए भी ये भय के बन्धन में है
घर की देहलीज लांघने में मेरा मन कुछ सकुचाता है
कोई गलती न हो जाये ये बार बार दोहराता है
घर के पास जो मंदिर है ये उसमे जाना चाहता है
पर घर में जो भगवान बसा है उसका मोल भी इसे समझ आता है
कपडे थोड़े तो पुराने हो गयें हैं मेरे
पर नए कपड़ो की चाहत उससे ज्यादा है जो छीन लेगी सब तेरे
घर का खाना खाते खाते बोर तो हो गया हूँ
पर बहार का खाना होटल का होगा या हॉस्पिटल का ये सोच कर थम सा गया हूँ
शायद थोड़ा रुक जाऊँ तो सहना पड़ेगा कम
मन पर पाबन्दी लगा कर मौत का खौफ थोड़ा तो होगा कम
जो जोड़ा था थोड़ा थोड़ा उससे ही काम चल जायेगा
नहीं तो अर्थी को कोई कन्धा देने भी न आ पायेगा
stay home stay safe
@ritz
अपने प्रियजनों से ये कुछ प्रश्न पूछना चाहता है
अंदर रहूं या बाहर जाऊं ये विपदा मेरे मन में है
सब कुछ खुला होते हुए भी ये भय के बन्धन में है
घर की देहलीज लांघने में मेरा मन कुछ सकुचाता है
कोई गलती न हो जाये ये बार बार दोहराता है
घर के पास जो मंदिर है ये उसमे जाना चाहता है
पर घर में जो भगवान बसा है उसका मोल भी इसे समझ आता है
कपडे थोड़े तो पुराने हो गयें हैं मेरे
पर नए कपड़ो की चाहत उससे ज्यादा है जो छीन लेगी सब तेरे
घर का खाना खाते खाते बोर तो हो गया हूँ
पर बहार का खाना होटल का होगा या हॉस्पिटल का ये सोच कर थम सा गया हूँ
शायद थोड़ा रुक जाऊँ तो सहना पड़ेगा कम
मन पर पाबन्दी लगा कर मौत का खौफ थोड़ा तो होगा कम
जो जोड़ा था थोड़ा थोड़ा उससे ही काम चल जायेगा
नहीं तो अर्थी को कोई कन्धा देने भी न आ पायेगा
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