...

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बेटियां
क्या हूँ मैं, कौन हूँ मैं, यही सवाल करती हूँ मैं
लड़की हो, लाचार, मजबूर, बेचारी हो, यही जवाब सुनती हूँ मैं

बड़ी हुई, जब समाज की रस्मों को पहचाना
अपने ही सवाल का जवाब, तब मैंने खुद में ही पाया
लाचार नही, मजबूर नहीं मैं, एक धधकती चिंगारी हूँ
छेड़ों मत जल जाओगें, दुर्गा और काली हूँ मैं

परिवार का सम्मान, माँ-बाप का अभिमान हूँ मैं
औरत के सब रुपों में सबसे प्यारा रुप हूँ मैं
जिसकों माँ ने बड़े प्यार से हैं पाला
उस माँ की बेटी हूँ मैं, उस माँ की बेटी हूँ मैं