भालु का सपना
एक दिन ऐसे ही जब भोलू की आँख खुली
तो उसे लगा जैसे उसने कोई सपना देखा
उसने कोई सपना देखा सपने में अपनी माँ को देखा
माँ बोली जल्दी से उठ जा भोलू सूरज सर पर हैं
नाहा धो कर तैयार होकर पढ़ना भी तो है
पढ़ना भी तो है फिर मित्रों संग खेलना भी है
भोलू चौक कर माँ से बोला पढ़ेंगे कैसे हम
विद्यालय तो बून्द है और न कोई अध्यापक है
और न कोई अध्यापक है तो उठ के क्या करू
इस पर माँ हंस के बोली मेरा हाथ बंटाएगा ...