दास्तान्-ए-इश्क़
चाहती हूँ कि हो जाए तुम्हारा नाम अमर
इसे लिख रही हूँ मैं दिल की दीवार पर
इश्क़ की तहरीरें तुम पढ़ो मिरी आँखों में
क्या नज़रें जमाए बैठे हो यार अख़बार पर
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इसे लिख रही हूँ मैं दिल की दीवार पर
इश्क़ की तहरीरें तुम पढ़ो मिरी आँखों में
क्या नज़रें जमाए बैठे हो यार अख़बार पर
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