...

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!! चेहरा !!
चेहरा वो आईना है
जहाँ खुद का ही अक्स
ढूढ़ने मे कई जनम लग जाते
खुद को ही खुद का चेहरा
कभी नज़र नहीं आता
मज़ारे चाहे जितनी भी
पुरानी क्यूँ न हो
फातिहाँ पढ़नेवालों का
दर्द उतना ही तरोताज़ा होता है
आईना भी ऐसा ही है
यादों में दफ़न यादों कों
फिर से चेहरे क़ी
शक्ल सूरत देकर
हमें आजमाता रहता है
और हम खुद का ही
चेहरा खोजते रह जाते है
दुनियाँ के चेहरों में............
© राजेश पंचबुधे