अगर तुम्हें कभी फ़ुर्सत हो तो....
अस्त-व्यस्त रहता है मेरा कमरा
हर चीज़ बेतरतीबी से इधर उधर
पड़ी रहती है और...
और,
मैं कुछ भी
समेटने की बनस्पत
बस बैठा रहता हूँ...
हर चीज़ बेतरतीबी से इधर उधर
पड़ी रहती है और...
और,
मैं कुछ भी
समेटने की बनस्पत
बस बैठा रहता हूँ...