...

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**"काली बनो: संयम से न्याय का दीप"**
काली बनो, तुम आग धरो,
अपनी रक्षा संयम से करो।
कोलकाता की सड़कों पर जो हुआ,
अब वो दु:ख सहन नहीं करो।

अत्याचार की ये काली रात,
अब हर दिल को झकझोर गई,
जिस्म से खेला जिन्होंने,
सबकी रूह थर्रा गई।

काली बनो, उस तेज़ से,
जो अन्याय को जला सके,
संयम से हो जो शक्ति पूर्ण,
हर अत्याचारी को झुका सके।

जो दर्द सहा...