"कसम चार दिवारी की"
चुप्पी के अल्फ़ाज़ -
"कसम चार दिवारी की"
कसम चार
दिवारी की
टिमटिमाते
ड्रीमकैचर के संग,
200bpm की
स्पीड पर
बजते रहे
रात भर हम।।
जिगर के
जो छल्ले थे
वो भगत शून्य
में लीन थे।
तंत्रा की तपस्या में
वो तपते रहे
शून्य की लहरों पे
जो झूलते रहे।
...
"कसम चार दिवारी की"
कसम चार
दिवारी की
टिमटिमाते
ड्रीमकैचर के संग,
200bpm की
स्पीड पर
बजते रहे
रात भर हम।।
जिगर के
जो छल्ले थे
वो भगत शून्य
में लीन थे।
तंत्रा की तपस्या में
वो तपते रहे
शून्य की लहरों पे
जो झूलते रहे।
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