...

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मै वो और वेलेंटाइन....
बहारे लुटा दी
जवानी लुटा दी
तुम्हारे लिए जींदगानी लुटा दी
बातों बातों मे ही तुमसे सनम
अपनी सारी
कहानी सुना दी...
दिल मे खलिश थी..
जुबां मे कशीश थी...
धडकनो मे ....मेरी सांसो मे
शोलो सी तपिश थी..
अब ये सब पुरानी बातें है
सावन बरसा है
मेरी कुटिया मे भी
घटाएं हरदम मेहरबान रहती है
अपनी छाया लेकर
चांद मुस्कुराता है छत पे मेरे
रूनझून रूनझून
शहद सी मिठी..
वीणा से स्वर लिए
आगोश मे मेरे
मेरे पिया...
मेरे बलम...
मेरे सजना..
सुनते रहते है कर्ण मेरे
और मन मेरा
उनके इस कर्णप्रिय संबोधनों से
प्याले मे पडे ice के
cube की तरह तैरता रहता है
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मैने उन्हे कुछ नही बताया
बस तैयार होकर निकला
और
रास्ते से ही मैसेज किया
फटाफट तैयार हो जाओ
मै नीचे खडा हू... और
मैने फोन बंद कर दी
न करू तो हजार सवाल होते
कितनी मजबूरियाँ परोसी जाती
ये.. वो..
फलाना ढिमका ना..
सो मैने फोन बंद करदी
मै जबतक उनके दरवाजे पे पहुंचा
वो सामने तैयार होकर नीचे ही मिल गयी
हजार सवाल थे आंखों मे
पर जैसे ही निगाहें मिली
सभी सवाल साथ छोड गये...