...

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बना रस
बनारस
तुम कुछ और नहीं मन हो
सबसे बड़े धन हो
असंभव कि तुम्हारी डगरी कोई बेमन हो

तुम श्लोक, स्त्रोत्र, काव्य हो
हर बात, हर विधा के भाग्य हो

अधिक या योनियां हों...