...

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तरस रही हूँ..
तड़प रही हूँ..
काश! पहली जैसी बन जाऊँ..
इस दुनिया की ये कवायद सुन रही हूँ..
इस दुनिया की कड़वाहट से पक चुकी हूँ..
दिन ब दिन खुद को खुद में ढूँढ रही हूँ..
मगर वक़्त की नजाकत ने जमाने भर की कड़वाहट भर दी है..
कुछ Diamonds💎 हर रोज ये दुआ माँग रहे हैं कि काश पहली जैसी बन जाऊँ..
बस, शिव से हर रोज, हर दुआ में यही माँग रहे हैं..
काश! हँसती, खेलती, नाज़ुक चहचाहती, गुलाब ए बाग बन जाऊँ..
मग़र कम्बख्त दुनिया...