...

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हाल-ए-ज़िस्त
अगर महबूब की शक्ल आंखों में बस जाए
तो,आशिक़ जाते वक्त मुड़ कर देखा नहीं करते

ज़िंदगी की दौड़ में कभी भटकते तो हैं ही, सारे
मगर जाना इस तरह ख़ुद को खोया नहीं करते

इश्क़ के मारे न होते तो मेरे कागज़ हाथ न होता
हम इन गज़लों को दिल समझ लिखा न करते

मालूम...