...

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Mehboob
आज माैसम मे नजा़कत है झरा सी
लगता है आसमान ने अपना दिल खाेला है
उससे नजरें मिलते हि हमसे एक्सर एक गुनाह हाेता है
देखकर उसके दामन मे सी़ताराे की जगमगाहट
हम भुल जाते है की ये वहि ताे है जाे बादलों कि आड़ मे रोता है