...

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शहर
जाने कब का छोड़ दिया था अपना शहर
पर ये शहर है कि हमसे छूटता ही नही हैं
बहुत आगे निकल आये हैं ज़िन्दगी में मगर
पुरानी यादों का सिलसिला टूटता ही नही हैं
लोंग यहाँ भी बुलाते हैं हमें महफिलों में अक्सर
चले गए तो सारें हस के मिलते हैं और नही गए तो कोई रूठता ही नही हैं
बहुत याद आती है हर सड़क हर मंज़र
ये शहर हैं कि हमसे छूटता ही नही हैं





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