"क्या महफ़ूज़ हूं मैं?"
मुझे अब डर लगता हैं,
जब मैं रहती लोगो की भीड़ में।
जब मैं रहती कमरे से दूर मैं,
जब मैं कमरे में रहती अकेली।
मैं सहम जाती, आकर बाहर से,
कई बार अपने कमरे को टटोलती।
और पूछती मैं अपने मन से,
क्या महफ़ूज़ हूं मैं?
अकेले घर से मिलो दूर,
अनजान...
जब मैं रहती लोगो की भीड़ में।
जब मैं रहती कमरे से दूर मैं,
जब मैं कमरे में रहती अकेली।
मैं सहम जाती, आकर बाहर से,
कई बार अपने कमरे को टटोलती।
और पूछती मैं अपने मन से,
क्या महफ़ूज़ हूं मैं?
अकेले घर से मिलो दूर,
अनजान...