...

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(स्त्री - पूजनीय है तू)
स्त्री है तू ,
खुद को पहचान
शक्ति का भंडार है तू।
इस समस्त संसार की
जननी है तू।।

जिस फिरंगी से डर -डर,
गुलाम बना पूरा भारत,,
"लक्ष्मीबाई "बन तूने ही तो
खड्ग उठाकर अपना
न्योछ्वार किया पूर्ण जीवन
ऐसी पराक्रमी नारी है तू
"काली" का विकराल रूप है तू।।

जिस "यमराज "से थर-थर
कांपे समस्त 'असुर', 'मानुस '
और 'देवगण'
"सती" बन तूने ही तो
छीन लाई अपने
पति का जीवन
ऐसी "विरांगना "है तू
"दुर्गा "का रूप है तू

सचमुच महान है तू,
पूजनीय है तू।।




© suryansh