इश्क
ज़िन्दगी का श्रंगार भी तो है
इश्क़ माना बुखार भी तो है
वसल की वादिया हसी है
तो हिज्र...
इश्क़ माना बुखार भी तो है
वसल की वादिया हसी है
तो हिज्र...