...

5 views

लोग..
अपनी गलती को नादानी,
और दूसरों की गलती को गुनाह कहते हैं।
ज्ञान बांचते फिरते हैं सबको,
ख़ुद को न जाने भगवान कहते हैं।
सबकी बातेँ बदतमीजी लगती हैं,
और ख़ुद के शब्दों को सम्मान कहते हैं।
दूसरों को मुर्ख करार करके,
ख़ुद को हमेशा विद्वान कहते हैं।
बात बात पर सिर्फ भड़कना ही सीखा है,
फिर भी खुद को धैर्यवान कहते हैं।
खुद के मुँह मिया मिट्ठू बनने से फुर्सत नहीं,
और हर किसी के वक्तव्यों को अपमान कहते हैं।
इनके अनुसार हर व्यक्ति केवल झूठा हैं,
और खुद को ये सत्यवान कहते हैं।
इनकी नजरों में सब केवल कमजोर हैं,
और खुद को ये बलवान कहते हैं।
लोगों की उपलब्धी को किस्मत का नाम,
और ख़ुद को हर वक़्त गुणवान कहते हैं।
बात बात पर मार देते हैं ताना,
और खुद के पक्ष में स्वयं को अंजान कहते हैं।
जो उनके अनुसार चले बस वही सबसे प्रिय है,
जो करे उनकी बातों का सामना उसे अज्ञान कहते हैं।
वाह रे इंसान...,
ना दिया करो सफाई अपने आंसुओ की,
क्योंकि शायद उन्हीं को कर्मों का अंजाम कहते हैं।

@kavayitri_ji
© Vaishnavi Singh

#poem
#poetrycommunity
#poetsofinstagram
#poemsociety