आशिक़ी-माशुक़ी
ख्वाहिशमंद हूं, मोहब्बत है, आशिक़ी है
मुझे तुमसे, तुम्हे किसी और से माशुक़ी है।।
ख़ुशी मिलती है तुम्हे उसकी बातें करके
नही चाहता, पर ना सुनूँ तो ये बेरुखी है।।
क्या हुआ, दिल पर जरा-सी चोट ही लगी
वो भी तो मेरा ही है जिसे तुमने चुनी है।।
© Saddam_Husen
मुझे तुमसे, तुम्हे किसी और से माशुक़ी है।।
ख़ुशी मिलती है तुम्हे उसकी बातें करके
नही चाहता, पर ना सुनूँ तो ये बेरुखी है।।
क्या हुआ, दिल पर जरा-सी चोट ही लगी
वो भी तो मेरा ही है जिसे तुमने चुनी है।।
© Saddam_Husen